तस्वीर उतारने वाले से , लेख लिखने वाले से , कविताएँ रचने वाले से और शेर गढ़ने वाले से पढने वाला, समंझने वाला कई गुना श्रेठ होता है इसमें कोई संदेह नहीं .... आपने यह तस्वीर क्या सोच कर शूट की पता नहीं पर इस फ्रेम में संकलित सभी तत्वों को बेहद बारीकी से देखने और विचार करने के बाद मै यानी की ज्ञान त्रिपाठी इस मुकाम पर पहुचा हूँ की ............इस तस्वीर को इन अल्फाजों में बयां करना शायद उचित है पर हकीकत आप के हाँथ में हैं सांय सांय करती हुई घनघोर अँधेरी रात में संसार के समंदर में साँस कि नावं के साथ अक्ल कि पतवार ही काम आती है दुनिया अपरिमित जीव का खजाना है जहाँ घुप अँधेरा है एसे में ज्ञान की रौशनी के सहारे ही हर इन्सान को अपने भरोसे की नीव के दम पर ही इस मोंह के भवंर से ,चक्रवातों से ,भयावह ऊँची नीची उठती गिरती लहरों से टकरा कर मंजिल तक पहुंचना होता है ,एसा साहस चंद लोगों के पास ही होता हैं जो अपनी मंजिल को यानी की भगवान को ढूंढ़ लेते है यह नाविक भी अपनी मंजिल की तरफ अनवरत बगैर किसी के मदद के बढ़ता जा रहा है शायद संसार सागर को पार करने का अटूट जज्बा .........?
बहुत सुन्दर चित्रबधाई
ReplyDeleteआशा
Panoramic! Beautiful
ReplyDeleteCongratulations!
I felt like I touched nature.....
lovely pic !
ReplyDeletethanks
▬● सुमित ,,, तुम्हारे पास कौनसा कैमरा है......?
ReplyDeleteअगर ये सारी फोटोज तुमने क्लिक की हैं तो वाकई बहुत आगे जाओगे मेरे दोस्त.......
beutiful picture.sweet words .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्रबधाई
ReplyDeleteतस्वीर उतारने वाले से , लेख लिखने वाले से , कविताएँ रचने वाले से और शेर गढ़ने वाले से पढने वाला, समंझने वाला कई गुना श्रेठ होता है इसमें कोई संदेह नहीं ....
ReplyDeleteआपने यह तस्वीर क्या सोच कर शूट की पता नहीं पर इस फ्रेम में संकलित सभी तत्वों को बेहद बारीकी से देखने और विचार करने के बाद मै यानी की ज्ञान त्रिपाठी इस मुकाम पर पहुचा हूँ की ............इस तस्वीर को इन अल्फाजों में बयां करना शायद उचित है पर हकीकत आप के हाँथ में हैं
सांय सांय करती हुई घनघोर अँधेरी रात में संसार के समंदर में साँस कि नावं के साथ अक्ल कि पतवार ही काम आती है दुनिया अपरिमित जीव का खजाना है जहाँ घुप अँधेरा है एसे में ज्ञान की रौशनी के सहारे ही हर इन्सान को अपने भरोसे की नीव के दम पर ही इस मोंह के भवंर से ,चक्रवातों से ,भयावह ऊँची नीची उठती गिरती लहरों से टकरा कर मंजिल तक पहुंचना होता है ,एसा साहस चंद लोगों के पास ही होता हैं जो अपनी मंजिल को यानी की भगवान को ढूंढ़ लेते है यह नाविक भी अपनी मंजिल की तरफ अनवरत बगैर किसी के मदद के बढ़ता जा रहा है शायद संसार सागर को पार करने का अटूट जज्बा .........?
bahut badhiya
ReplyDeleteSimply Beautiful- can virtually feel the tranquility.
ReplyDeleteRaymond Fernandes
bahut sunder bhavnayen vyakt ki hai apne
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