क्या! अपने कृति के लिये सिर्फ और सिर्फ दो शब्द उसके पास नही, जिसने उसे अपनी कल्पना और ममता के छाँव में संजोकर तराशा हैं इक आकर दिया है उसे साकार किया है य फिर अपनी कृति की प्रशंसा में कुछ कहने मे असहाय है असमर्थ है य फिर यह उसका बड़प्पन हैं अथवा उसकी मानसिक संकीर्णता ,मेरे लिये तो यह कहना बेहद मुश्किल है .....खैर जो भी हो चाहूँगा की अपने बातों को जज्बातों को परछाईं की तरह शब्दों से कोरे कैनवास पर उकेर कर कृति को चरितार्थ करने की ......... यह आप से मेरी विशेष अपेछा है आप के सारे चहेते शायद यही जानना चाहेंगे ,तो देर किस बात की लगे हाँथ अपने शब्दों की स्याही फैला ही दीजिये और बता दीजिये तस्वीर शूट करने का दृष्टिकोण ............आप खडूस दोस्त निकम्मा--------- ज्ञान त्रिपाठी
शब्द सिर्फ और सिर्फ उनके लिये होते है जिन्हें शब्दों का ज्ञान होता है तस्वीर उनके लिये होते है जिनके पास जज्बात होते हैं वह अनपढ़ ,गवांर, बहरे और पढ़े लिखे चाहे जो हो अगर उनके ह्रदय के किसी भी कोने में भावनाओं स्याही तनिक भी बची है तो वे इन वेजुबान तस्वीरों की ख़ामोशी के राज को भांप सकेंगे ,ख़ामोशी को पढ़ सकेंगे, डूबने की बात है तो कोई चुल्लू भर पानी में भी डूब जाता है और किसी के लिये अथाह समंदर भी छिछला पड़ जाता है, माया नीचे नदी की धारा की भांति अनवरत बह रही है ज्ञान का प्रकाश वक़्त के साथ धुन्ध पड़ता जा रहा है उस रिक्त स्थान को भरने के लिये अंधकार का भवंर तेजी से मुंह फैलाये आगे आ रहा है उस पर पड़ रहे माध्यम प्रकाश से सुशोभित मौसम से प्रभावित य दिग्भ्रमित पंछी रुपी इन्सान माया के गर्त में जिन्दगी तलाशने में ...जबकि नदी की धारा के आगोश में स्थिर थमी ,हिलती डुलती किस्ती उन्हें रह रह कर धड़कन का अहसास करा र र र र र र र र रर र र र र र ररर ..............आखिर मृगमरीचिका का एसा खूबसूरत उदहारण और कहाँ !
आबोदाना ढूंढ़ते रह गए
ReplyDeleteइधर सेमिनार में
नर और नारी
सेमिनर नहीं था कोई
आशियाने का इंतजाम
कर रखा था।
just beautiful click ....
ReplyDeletemarvellous piece of art.....
ReplyDeleteu r a genius.....
Very innovative...
ReplyDeleteLike your caption...
They are compliment to each other...
क्या! अपने कृति के लिये सिर्फ और सिर्फ दो शब्द उसके पास नही, जिसने उसे अपनी कल्पना और ममता के छाँव में संजोकर तराशा हैं इक आकर दिया है उसे साकार किया है य फिर अपनी कृति की प्रशंसा में कुछ कहने मे असहाय है असमर्थ है य फिर यह उसका बड़प्पन हैं अथवा उसकी मानसिक संकीर्णता ,मेरे लिये तो यह कहना बेहद मुश्किल है .....खैर जो भी हो चाहूँगा की अपने बातों को जज्बातों को परछाईं की तरह शब्दों से कोरे कैनवास पर उकेर कर कृति को चरितार्थ करने की ......... यह आप से मेरी विशेष अपेछा है आप के सारे चहेते शायद यही जानना चाहेंगे ,तो देर किस बात की लगे हाँथ अपने शब्दों की स्याही फैला ही दीजिये और बता दीजिये तस्वीर शूट करने का दृष्टिकोण ............आप खडूस दोस्त निकम्मा--------- ज्ञान त्रिपाठी
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ReplyDelete▬● सुमित , कहाँ पा ली गयी हैं ये फोटो........ और हाँ सच में काफी अच्छी टाईमिंग चित्र और सांझ दोंन की.......
ReplyDelete(मेरी लेखनी, मेरे विचार..)
(अनुवादक पन्ना)
समय मिले तो मेरे ब्लॉग तक का फेरा भी लगा आना दोस्त...
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ur crazy click has made these two diwaane quite popular & lovable :-) Keep clicking
ReplyDeleteचलो शाम हो चली घर पर कोई इंतेज़ार कर रहा होगा। शायद बच्चे!!!!!
ReplyDeleteशब्द सिर्फ और सिर्फ उनके लिये होते है जिन्हें शब्दों का ज्ञान होता है तस्वीर उनके लिये होते है जिनके पास जज्बात होते हैं वह अनपढ़ ,गवांर, बहरे और पढ़े लिखे चाहे जो हो अगर उनके ह्रदय के किसी भी कोने में भावनाओं स्याही तनिक भी बची है तो वे इन वेजुबान तस्वीरों की ख़ामोशी के राज को भांप सकेंगे ,ख़ामोशी को पढ़ सकेंगे, डूबने की बात है तो कोई चुल्लू भर पानी में भी डूब जाता है और किसी के लिये अथाह समंदर भी छिछला पड़ जाता है, माया नीचे नदी की धारा की भांति अनवरत बह रही है ज्ञान का प्रकाश वक़्त के साथ धुन्ध पड़ता जा रहा है उस रिक्त स्थान को भरने के लिये अंधकार का भवंर तेजी से मुंह फैलाये आगे आ रहा है उस पर पड़ रहे माध्यम प्रकाश से सुशोभित मौसम से प्रभावित य दिग्भ्रमित पंछी रुपी इन्सान माया के गर्त में जिन्दगी तलाशने में ...जबकि नदी की धारा के आगोश में स्थिर थमी ,हिलती डुलती किस्ती उन्हें रह रह कर धड़कन का अहसास करा र र र र र र र र रर र र र र र ररर ..............आखिर मृगमरीचिका का एसा खूबसूरत उदहारण और कहाँ !
ReplyDeleteSumeet nice shot and composition..
ReplyDeletehi sumeet it's cool. u also can follow me at www.haleem-haleem.blogspot.com
ReplyDeletejordar
ReplyDeletenice and realistic pix collection......
ReplyDelete:D
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