Monday, March 28, 2011

Faces


चेहरे वही हैं पहाड़ी शहर के.........हँसमुख और उदास चेहरे


वे हमें और हम उन्हें पहचानते हैं.......लेकिन जानते नहीं कि


वे हम हैं...........................या हम वे हैं

Friday, March 4, 2011

Pot’s Poetry

सूरज की गर्मी से .... तपते हुए तन को
मिल जाये .... तरुवर की छाया