Monday, February 7, 2011

Back To Home

कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुलहन बदन चुराए... चुपके से आए

19 comments:

  1. बहुत खूबसूरत है यह तस्वीर। लेंस से कविता कहने की कोशिश की है तुमने। बधाई!

    ReplyDelete
  2. सत्‍य जी
    यह मिथ्‍या तो नहीं
    या नजरों का धोखा है
    मिल गया वेलेंटाइन डे के दिन
    आपको भी सत्‍य कहने का मौका है

    ReplyDelete
  3. समंदर की अथाह जलराशि हो, उबड़ -खाबड़, ऊँचे -नीचे पथरीले रास्ते हो य फिर विस्तृत अम्बर , मिथ्या भ्रम से दूर अडिग विश्वाश और अतुल साहस को फौलादी सीने में संसार सागर को सिर्फ और सिर्फ अकेले पार करने का जज्बा समेटे अहिस्ता -अहिस्ता तूफानों को चीरते आगे बढ़ने का सिलसिला जारी रखें और अपने जज्बातों को इन मूक,खामोश तस्वीरों से बयाँ करते रहें .............?

    ReplyDelete
  4. बहुत खूबसूरत है यह तस्वीर। धन्यवाद|

    ReplyDelete
  5. The line goes so well with the beautiful pic .

    ReplyDelete
  6. Its a pleasure to be your follower.

    ReplyDelete
  7. सुमित, बधाई और शुभकामनाएं. बहुत काव्यात्मक तस्वीरे खींच रहे हो.जारी रखो.एक बात याद आ रही है..पंडित जसराज ने रघु राय के बारे में कहा था कि जब मैं मंच से गा रहा होता था तो नीचे रघु कैमरे से ताल देते थे। तुम्हारी तस्वीरे तुम्हे उस मुकाम तक ले जाएं,यही दुआ है.
    गीताश्री

    ReplyDelete
  8. mast hai ji aapke photo..harpreet

    ReplyDelete
  9. कैमरे से कैद की गयी ये तस्वीर युं ज्युं कैनवास पर रंगों का करामात । बधाई दादा।

    ReplyDelete
  10. Brilliant work, Sumeet. Not only we, but the nation at large, should be proud of your breathtaking achievements in the field of photography.

    ReplyDelete
  11. kya baat hai bhai tumhari photography mein
    lage raho

    ReplyDelete
  12. anand aa gayaa...aap kahan the itne dino tak???

    ReplyDelete
  13. I love how the photograph's framed..:)

    ReplyDelete